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पृथ्वी से भी पुराना है सहारा रेगिस्तान में मिला उल्कापिंड, क्या हैं इसके मायने – My Print Value




आमतौर पर ऐसे उल्कापिंड (Meteorites) मिलते हैं जो पृथ्वी के बनने के समय या उसके बाद बने होते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
उल्कापिंड (Meteorite) के बारे में कहा जाता है कि वह उस समय के  होते हैं जब हमारे सौरमंडल (Solar System) में पृथ्वी (Earth) जैसे ग्रहों का निर्माण हो रहा था. लेकिन शोधकर्ताओं ने अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान (Sahara Desert) में एक उल्कापिंड की चट्टान का टुकड़ा खोजा है जो पृथ्वी से भी पुराना बताया जा रहा है. यह पत्थर एक ऐसे ग्रह का माना जा रहा जिसका निर्माण शुरू ही हुआ था और तक तक पृथ्वी अपने अस्तित्व में भी नहीं आई थी.

क्या खास है इस उल्कापिंड में
इस उल्कापिंड को Erg Chech 002 या EC 002 नाम दिया गया है. शोधकर्ताओं के अनुसार यह एक पुरातन प्रोटोप्लैनेट की पर्पटी के अंदर बना था. प्रोटोप्लैनेट ग्रहों के मूल रचना खंड होते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अब तक का सबसे पुराना ज्ञात लावा है जो पृथ्वी पर गिरा है. इसका अध्ययन करने से हमारे सौरमंडल के शुरुआती समय में ग्रहों की निर्माण के बारे में जानकारी मिल सकती है.

कहां मिला है यह उल्कापिंड
यह पत्थर अफ्रीका के अलजीरिया के अर्ग चेच ड्यून सागर में मिला था और उसकी आधार पर उसे नाम दिया गया है. वास्तव में यह बहुत सारे उल्कापिंडों से बना है और उसका वजन 70 पाउंड यानि करीब 32 किलो का है. शोधकर्ताओं ने इसका विश्लेषण कर पाया है कि पर्पटी का यह टुकड़ा लावा की तरह पिघला हुआ था और उसके बाद क्रिस्टलीकरण होकर वह ठोस बन गया.

कितना पुराना
इस पत्थर के मैग्नीशियम और एल्यूमीनियम आइसोटोप्स के अध्ययन से पता चला है कि यह 4.566 अरब साल पुराना है जो अभी तक पाया गया सबसे पुराना आग्नेय शैल है. इससे पहले आग्नेय शैल वाला उल्कापिंड NWA11119 था जो EC002से 12.4 लाख साल छोटा है. पृथ्वी ईन पत्थरों से कई लाख सालों के बाद अस्तित्व में आई थी.