Space Debris शोधकर्ताओं ने पाया कि आगामी दशक में अंतरिक्ष से वापस पृथ्वी पर आने वाले मानव निर्मित कचरों का खतरा बढ़ेगा। यह खतरा उत्तरी के बजाय दक्षिणी अक्षांश (सदर्न लैटिट्यूड) पर ज्यादा रहेगा। अगले दशक तक प्रत्येक 10 वर्गमीटर में गिरने वाले कचरे से किसी की मौत की आशंका।
वाशिंगटन, प्रेट्र। Space Debris अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में मनुष्य लगातार विकास कर रहा है। करीब साढ़े छह दशक पहले पहला सेटेलाइट लांच किया गया था। तब से अब तक हजारों सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे जा चुके हैं। निश्चित अवधि के बाद सेटेलाइट काम करना बंद कर देते हैं और अंतरिक्ष में कचरे की तरह मंडराते रहते हैं। कई बार राकेट और सेटेलाइट के टुकड़े वापस पृथ्वी पर भी गिर जाते हैं। अब तक इन टुकड़ों के गिरने से कहीं किसी की जान जाने की घटना सामने नहीं आई है। हालांकि जिस तरह से अंतरिक्ष में इंसानी कचरा बढ़ रहा है, उसके साथ खतरा भी बढ़ता जा रहा है। विज्ञान पत्रिका नेचर एस्ट्रोनामी में प्रकाशित अध्ययन में अगले एक दशक में ऐसे कचरे के कारण किसी की जान जाने की आशंका का आकलन किया गया है।
अंतरिक्ष में बिखरे टुकड़े चुनने की तैयारी : यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी एक मिशन की योजना बना रही है, जिसमें रोबोट की मदद से अंतरिक्ष में बिखरे टुकड़ों को समेटा जाएगा। संयुक्त राष्ट्र ने भी इन पर लगाम लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। हालांकि इन दिशानिर्देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून का रूप दिए बिना बहुत प्रभावी नहीं बनाया जा सकता है। स्पेस-एक्स जैसी कंपनियों द्वारा पुन: प्रयोग किए जा सकने वाले राकेट भी कचरे को कम करने में मददगार हो सकते हैं।
हर पल अंतरिक्ष से गिरते रहते हैं कण: वैसे तो विभिन्न धूमकेतु और अंतरिक्ष के अन्य ¨पडों से टूटकर हर क्षण कुछ टुकड़े पृथ्वी पर गिरते रहते हैं। हर साल हजारों टन सूक्ष्म कण पृथ्वी पर आते हैं। इनसे पृथ्वी पर बसे लोगों को कोई खतरा नहीं होता है। कई बार अंतरिक्ष के ऐसे ¨पड किसी अंतरिक्षयान को नुकसान अवश्य पहुंचा देते हैं। सौ-डेढ़ सौ साल में कभी कोई बड़ा ¨पड भी पृथ्वी पर आ गिरता है। आमतौर पर इनसे कोई खतरा नहीं रहता है। इन्हें रोकने का कोई तरीका भी नहीं है।
अभी नहीं गई है किसी की जान, लेकिन नहीं संभले तो घातक होता जाएगा कचरा : राकेट, खराब हो चुके सेटेलाइट आदि बड़ा संकट बनकर सामने आ रहे हैं। अब तक इनके कारण किसी की जान भले नहीं गई है, लेकिन आगे ऐसा हो सकता है। अगले दशक तक पृथ्वी पर प्रत्येक 10 वर्गमीटर क्षेत्र में गिरने वाले ऐसे कचरे से किसी की जान जाने की 10 प्रतिशत आशंका रहेगी। इसके लिए पिछले 30 साल में सेटेलाइट से मिले विभिन्न आंकड़ों का अध्ययन भी किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि आगामी दशक में यानी न्यूयार्क, बीजिंग और मास्को की तुलना में ढाका, इंडोनेशिया के जकार्ता और नाइजीरिया के लागोस में ऐसे कचरे के गिरने की आशंका तीन गुना रहेगी।